तेरे जाने के बाद ये शहर भी सुनसान है, हर मोड़ पे तेरी यादों का मकान है… मैं हँसता हूँ मगर दिल में तूफान है, तेरे बिना अब मेरा कौन है… --- तू था तो सब था, अब कुछ भी नहीं… तू थी तो रंग थे, अब बस धुंधली सी सुबह है कहीं… --- तेरे हाथ की वो गर्मी, अब भी उंगलियों में है, तेरे होंठों की वो हँसी, अब भी खामोशियों में है… लोग कहते हैं वक़्त सब ठीक कर देता है, पर तू लौट आए, बस यही दुआ करता है… --- तू था तो सब था, अब कुछ भी नहीं… तू थी तो रंग थे, अब बस धुंधली सी सुबह है कहीं… --- मैंने चाहा तुझे अपनी साँसों से भी ज़्यादा, तू चली गई, मैंने खुद को भी खो दिया… अब ये आँखें रोती हैं बिना वजह के, क्योंकि वजह थी तू… और तू ही तो खो गया… - (Rain sound fades, piano slow) तू था… तो सब था… अब कुछ भी नहीं… कुछ भी… नहीं…
मैं शिकार हुआ हुं किसी की खाहिश का
मैं भला क्यू ना मोहब्बत को जिम्मेदार बोलूं
मोहब्बत अगर सच्ची हो न दोस्त
तो दर्द भी गहरा मिलता है ,
हर कोई मोहब्बत कर लेता है आजकल
बस जिस्म से होकर लौट आता है ,
मोहब्बत रूह से करके देखने दोस्त
मोहब्बत में दर्द के इलावा कुछ भी नही,
मैने ठोकरे बहुत खाई है इस मोहब्बत से
मेरी मोहब्बत ने मोहब्बत से मुझे मारा है
मैं भला क्यों न बेदर्द बोलूं मोहब्बत को
मेरी मोहब्बत ने ही मुझे दर्द जो दिया है,
मैं शिकार हुआ हुं किसी की खाहिश का
मैं भला क्यू ना मोहब्बत को जिम्मेदार बोलूं
मुझे तो मोहब्बत हो गए थे न जाने कैसे
उसने तो मोहब्बत की थी जान बुझ कर
उसने तो वह सब की जो था मोहब्बत में हराम है
मैं तो बस ये समझता रहा है के मोहब्बत शायद इसी का नाम है
फिर राजे मोहब्बत से मेरी पहचान हुए
फिर फरेब ए मोहब्बत को मैं पहचान गया
मैने कहा उसे यार ये क्या है
उसने कहा यार तुम मर जाऊ कुछ भी नही
मैं सोचा यार जब कसम मेरी खाई है
शायद मुझमें में ही कुछ कमी नजर आए है
वक्त बीत ता रहा हम मिलते रहे
मोहब्बत और फिर बढ़ती रही
वक्त ऐसा आया के उसके फिर एक राज पर
किसी ने उछाला कीचड़
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