एक समय की बात है, एक गांव में एक लड़का था नाम विक्रम और एक लड़की थी नाम आद्या। वे दोनों बचपन के दोस्त थे और अपने गांव की सुंदर आदतों और संस्कृति के साथ जीने वाले बच्चे थे। उनकी दोस्ती गहरी थी और वे हमेशा एक-दूसरे के साथ खेलते, हँसते और मस्ती करते थे।
जैसे-जैसे वे बड़े होते गए, विक्रम और आद्या की दोस्ती भी मजबूत होती गई। वे एक-दूसरे के साथ अपने सपनों, अच्छे-बुरे समयों और अपनी समस्याओं को साझा करते थे। धीरे-धीरे, इस दोस्ती में प्यार की भावना भी जगमगाने लगी।
एक दिन, विक्रम ने खुद को बहुत खोया हुआ महसूस किया। वह जानता था कि उसे आद्या से प्यार हो गया है। परंतु उसे एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ा। विक्रम की परिवार में एक गहरा धार्मिक मान्यता थी और वे एक दूसरे धर्म से होने के कारण आद्या के परिवार से विवाह करने में समर्थ नहीं थे।
विक्रम के दिल में उबाल था। उसने सोचा कि उसे आद्या से अलविदा कहना होगा, ताकि उनकी परिवारों को कोई परेशानी न हो। उन्होंने आद्या को ढकेल दिया, दूर रहने का निर्णय लिया। आद्या बहुत ही हृदयविदारक रही, परंतु वह अपने दोस्त के वचन का आदेश नहीं तोड़ सकती थी।
वर्षों बाद, विक्रम शहर में अपने सपनों का पीछा करते हुए आद्या के साथ पहले से अधिक दूर हो गया था। उसे अपनी जिंदगी में सफलता मिल गई थी, परंतु उसके अंदर एक खालीपन सा महसूस होता था। उसे अपनी खुद की गलती का एहसास होता था, कि वह अपने प्यार को चोट पहुँचा चुका है।
एक दिन, विक्रम की नजर एक समाचार पत्र पर गिरी, जिसमें आद्या के विवाह की खबर थी। विक्रम के ह्रदय को गहरा दर्द हुआ। वह खुद को ज़िंदा जलाने का विचार करने लगा, परंतु उसे सच्चाई का आग्रह करते हुए सोचा कि वह अब केवल एक पुरानी कहानी के टुकड़ों में जीने के लिए छोड़ दिया गया है।
विक्रम और आद्या की प्यारी दोस्ती एक दुःखभरी कथा थी, जिसमें उनका प्यार धर्म की दीवारों के आगे टकरा गया। दोनों के दिलों में खालीपन बनी रह गई और उनकी ख्वाहिशें बिना पूरी हुई रह गईं। इस कहानी से हमें यह समझ में आता है कि प्यार को धर्म, जाति या किसी अन्य भेदभाव के साथ रोकना हमेशा दर्दनाक परिणामों का कारण बनता है।
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